वर्ना रो पड़ोगे ! – कुँअर बेचैन

बंद होंठों में छुपा लो ये हँसी के फूल वर्ना रो पड़ोगे। हैं हवा के पास अनगिन आरियाँ कटखने तूफान की तैयारियाँ कर न देना आँधियों को रोकने की भूल वर्ना रो पड़ोगे। हर नदी पर अब प्रलय के खेल हैं हर लहर के ढंग भी बेमेल हैं फेंक मत देना नदी पर निज व्यथा … Read more

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