आओ, बैठे तरु के नीचे – हरिवंशराय बच्चन

आओ, बैठें तरु के नीचे! कहने को गाथा जीवन की,जीवन के उत्थान पतन कीअपना मुँह खोलें, जब सारा जग है अपनी आँखें मींचे!आओ, बैठें तरु के नीचे! अर्ध्य बने थे ये देवल केअंक चढ़े थे ये अंचल केआओ, भूल इसे, आँसू से अब निर्जीव जड़ों को सींचे!आओ, बैठें तरु के नीचे! भाव भरा उर शब्द … Read more

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