केवल दूर-दूर तक फैला अकेलापन था। – ऋतु पल्लवी

एक दिन जब बहुत अलसाने के बाद आँखे खोलीं, खिड़की से झरते हल्के प्रकाश को बुझ जाते देखा एक छोटे बच्चे से नन्हे सूरज को आते-जाते देखा नीचे झाँककर देखा हँसते–खिलखिलाते, लड़ते-झगड़ते पड़ोस के बच्चे प्रातः के बोझ को ढोते पाँवों की भीड़ पर स्वर एक भी सुनाई नहीं पड़ा या यूँ कहूँ कि सुन … Read more

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