जावेद अख़्तर

दर्द अपनाता है पराए कौन दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं कौन दुख झेले आज़माए कौन अब सुकूँ है तो भूलने में है लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन आज फिर … Read more

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