माँ तुम्हारी याद – डा. विष्णु विराट

देह में जमने लगी बहती नदी है सांस लेने में लगी पूरी सदी है, चेतना पर धुंध छाई है माँ तुम्हारी याद आई है। हम गगन में है न धरती पर बस हवाओं में हवाएँ हैं, धूप की कुछ गुनगुनी किरनें, ये तुम्हारी ही दुआएँ हैं, कान जैसे सूर के पद सुन रहे हैं, किंतु … Read more

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